सोलह संस्कार कोन -कोन से है?
16 [सोलह] संस्कार के नाम -
भारतीय संस्कृति ने मानव जीवन को परिष्कृत करने के लिए सोलह संस्कारों को समझाया है,
आइए हम अपने जीवन में सोलह संस्कारों से जुड़ी विशेष बातें जाने-
मानव जीवन में सर्वप्रथम गर्भाधान संस्कार तथा फिर उसके बाद सोलह संस्कारों की सूची में क्रमशः पुंसवन ,सीमन्तोन्नयन ,जातकर्म ,नामकरण ,निष्क्रमण, अन्नप्राशन ,चूड़ाकर्म, कर्णवेध ,उपनयन, वेदारम्भ ,समावर्तन ,विवाह ,वानप्रस्थ, सन्यास ,अंत्येष्टि ।
-सभी सोलह संस्कारों मैं से अधिकतर हम गर्भाधान ,नामकरण, चूड़ाकर्म ,विवाह, वानप्रस्थ, सन्यास निम्न संस्कारों से भली -भांति परिचित हैं कई जगह या अवसरों पर हम इन संस्कारों की विवेचना देख सकते हैं।
आइए सोलह संस्कारों में से सबसे अंतिम अंत्येष्टि संस्कार के बारे में जानते हैं-
हिंदू धर्म में आदिकाल से ही मृतक व्यक्तियों के शव को अग्नि को समर्पित करने का विधान रहा है ,
मृत शव को चिता पर रख दिया जाता है और अग्नि देव को समर्पित कर दिया जाता है ,
इस संस्कार के साथ कई प्रथाएं जुड़ी हुई है
जैसे हम देखते हैं कि शव को अग्नि देव को समर्पित करने के बाद पिण्डदान किया जाता है।
यह 3 दिन बाद होता है ,जिसमें शव की शेष अस्थियों को एकत्रित कर लिया जाता है और उनकी पूजा कर पास स्थित नदी व सागर में प्रवाहित कर दिया जाता है ।
समाज के व्यक्ति मृत शव की आत्मा को शांति प्रदान करने की कामना करते हैं।
उत्तर पश्चिम भारत में हिंदू परिवारों में यह बताया जाता है कि मृत शव के घर पर 12 दिन पूरे होने तक गरुड़पुराण का पाठ किया जाता है जिससे मृत शव की आत्मा को शांति प्राप्त होती है
इस प्रकार जीव का यह अंतिम संस्कार पृथ्वी पर संपूर्ण होता है।
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