[mppsc pre 2020-2021] मध्यप्रदेश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी Freedom Fighters of Madhya Pradesh in Hindi

मध्यप्रदेश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, उनका जन्म तथा शहादत स्थल - mppsc history paper 

Freedom Fighters of Madhya Pradesh in Hindi 

मध्यप्रदेश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं उनका जन्म तथा शहादत स्थान


मध्य प्रदेश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ,मध्य प्रदेश के प्रमुख क्रांतिकारियों के नाम, १८५७ की क्रांति में भाग लेने वाले मध्यप्रदेश राज्य के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ,1857 की क्रांति में मध्य प्रदेश के प्रमुख व्यक्ति एवं सेनानी-Freedom Fighters of Madhya Pradesh in Hindi , 


🔴जननायक टंट्या भील - 

टंट्या भील का जन्म सन् 1842 में पश्चिम निमाड़ के ग्राम विरी में हुआ था।

 अंग्रेजी हुकूमत की दमनकारी नीतियों का विरोध करने के कारण 4 दिसम्बर 1889 को इनको फाँसी पर चढा  दिया गया।

🔴भीमा नायक- 

मध्य प्रदेश के स्वतंत्रता आंदोलन कार्यों में जिन नायकों का नाम लिया जाता है उनमें भीमा नायक को विशिष्ट स्थान प्राप्त है।

 भीमा नायक 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष किया था।

 पश्चिमी निमाड़ी रियासत के पंच मोहाली गांव में सन् 1840 में जन्म हुआ।

 2 अप्रैल 1868 को सतपुड़ा के घने जंगल में सोते समय गिरफ्तार कर लिए गए।

 ग्राम धूआवा बावड़ी में भीमा नायक का स्मारक बनाया गया है।

🔴कुंँवर चैनसिंह - 

इन्हें मध्य प्रदेश का मंगल पाण्डे के नाम से भी जाना जाता है।  वे नरसिंहगढ़ के राजकुमार थे। कुंँवर चैनसिह  24 जून, 1824 को सीहोर के दशहराबाग वाले मैदान में शहीद हुए थे।


🔴वीरांगना रानी अवंती बाई - 

रानी अवंती बाई का जन्म 16 अगस्त 1831 को मध्यप्रदेश के सिवनी जिले  के मनकेडी गाँव  में हुआ ।

वे अंग्रेजो से संघर्ष करती हुई 20 मार्च 1858 को वीरगति को प्राप्त हुई ।


🔴रानी दुर्गावती - 

रानी दुर्गावती भारत की एक प्रसिद्ध वीरांगना थी।

 उनका जन्म 5 अक्टूबर 1524 को कालिंजर के राजा किर्ती सिंह चंदेल के यहां हुआ था।

 शत्रु द्वारा पकड़े जाने पर और अपमानित होने कि आशंका से बचने  के लिए रानी दुर्गावती ने  स्वयं छुरा घोंप के अपने प्राणो की आहुति दे दी,


🔴 रानी लक्ष्मबाई- 

1857 के विद्रोह की महान स्वतंत्रता सेनानी रानी लक्ष्मबाई का जन्म 19 नवंबर 1835 में महाराष्ट्र  में हुआ।

 17 जून 1858 को रानी लक्ष्मीबाई बड़ी वीरता के साथ संघर्ष करती हुई वीरगति को प्राप्त हुई।


🔴वीरांगना झलकारी बाई -

झलकारी बाई का जन्म 22 नवंबर 1830 को बुंदेलखंड के भोजला गाँव में एक निर्धन कोली परिवार में हुआ था ।

झलकारी बाई का 1857 के संग्राम में सर्वथा अलग और महत्वपूर्ण स्थान है । वे रानी लक्ष्मीबाई की प्रमुख सहायिका थी,


🔴तात्या टोपे ( रामचंद्र पांडुरंग )- 

 इनका जन्म नासिक के निकट महाराष्ट्र के पटोदा जिले के ग्राम येवला में 1814 को  हुआ ।  तथा इनकी  मृत्यु 18 अप्रैल 1859 ई. को  हुई ।


🔴चंद्रशेखर आजाद- 

अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्यप्रदेश के अलीराजपुर जिले के भाबरा ग्राम में हुआ था।

इनका बचपन का नाम पंडित हरिशंकर ब्रह्मचारी था।

27 फरवरी 1931 को जब अल्फ्रेड पार्क में बैठे थे। तभी पुलिस ने उन्हें घेर लिया।

 वे अंत तक लड़े और जब देखा कि उनकी पिस्तौल में केवल एक गोली शेष है तो उन्होंने उसे अपने सर पर दाग दिया और इस प्रकार वे आजादी के लिए शहीद हो गए।


🔴बख्तावर सिंह - 

मालवा के पहले शासक थे जिन्होंने कंपनी के शासन का अंत करने का बीड़ा उठाया।

अपने ही सहयोगीयों के विश्वासघात के कारण 11 नवंबर 1857 को लालगढ़ की किले के पास के जंगल में गिरफ्तार कर लिया तथा इंदौर में 10 फरवरी 1858 को फांसी दे दी गई।


🔴शंकर शाह- 

इनका जन्म 1783 में हुआ था तथा इनके पिता सुमेर शाह  उन्हें देशद्रोह के अपराध में मृत्यु दंड की सजा सुनाई थी,

18 सितंबर 1857 को जबलपुर स्थित एजेंसी हाउस में राजा शंकर शाह को अंग्रेजों ने तोपों से उड़ा दिया।


🔴सआदत खाँ-  

भारतीय स्वतंत्र संग्राम में मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र के राजा होल्कर के एक सैनिक सआदत खाँ का 1857 की क्रांति में महत्वपूर्ण योगदान रहा ,जिसने अपनी टुकड़ी सहित अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया उन्हें अंगेजो ने अक्टूबर 1874 को फांसी दे दी गई।


🔴महादेव तेली- 

12 अगस्त 1942 को बैतूल जिले के प्रभात पट्टन में बाजार लगा हुआ था जिसमें आसपास के गांव के लोग बड़ी संख्या में मौजूद हुए थे ।

इसी बीच मुलताई से पुलिस के 4 जवान आ पहुंचे जिन्होंने जुलूस पर गोली चला दी जिसमें महादेवी तेली का स्वतंत्रता की वेदी पर बलिदान हो गया।


🔴लाल पद्मधर सिंह- 

रीवा राज्य के अंतर्गत सतना जिले के कृपालपुर गांव के लाल पदमधर सिंह बघेल की शहादत 13 अगस्त 1942 को इलाहाबाद में हुई।

 गोली लगने से वीरगति को प्राप्त हुए लेकिन ऐसी शौर्यपूर्ण शहादत अमरत्व का ही दूसरा नाम होती है।


🔴उदय चंद- 

19 वर्ष 9 माह 6 दिन की आयु में  शहीद हो गए ।

16 अगस्त 1942 को बंजर नदी के किनारे जब शहीद उदय चंद जैन की पार्थिव देह अग्नि को समर्पित की गई तब वहां अपार जन समुदाय सजल नेत्रों से उपस्थित था।


🔴विरसा गोंड- 

1942 में बैतूल जिले के घोड़ाडोंगरी शाहपुर क्षेत्र के आदिवासी सेनानियों का एक बड़ा समूह 19 अगस्त 1942 को बिरसा गोंड के नेतृत्व में घोड़ाडोंगरी रेलवे स्टेशन के पास इकट्ठा हुआ।

इन्होने जंगल जंगल घूम कर इन आदिवासियों को प्रेरित और एकजुट किया था ।


🔴ठाकुर रणमत सिंह- 

अंग्रेजो के खिलाफ स्वतंत्र संग्राम छेड़ने वालों में मध्यप्रदेश विंध्य क्षेत्र के ठाकुर रणमत सिंह का नाम प्रमुख है।

उन्हें सन् 1859 में अनंत चतुर्दशी के उसी दिन फांसी की सजा दे दी गई जिस दिन उनका जन्म हुआ था ।


🔴शहीद गुलाब सिंह- 

वीर शहीद गुलाब सिंह का नाम सन् 1942 के स्वतंत्रता आंदोलन से घनिष्ठ रूप से जुड़ा हुआ है।

गुलाब सिंह के बढ़ते कदम को रोकने के लिए 14 अगस्त को पुलिस ने जुलूस पर लाठियां चलाई जिसमें वीर गुलाब सिंह शहीद हो गए।


read also- most imp topic for mppsc and mppeb exams -

मध्यप्रदेश के प्रमुख जनजातीय व्यक्तित्व - Major Tribal Personalities of Madhya Pradesh in Hindi 


CLICK HERE- भारत की नदियां - याद करने की आसान ट्रिक्स

इन्हे भी पढ़े -


POLITY GK FOR ALL COMPETITIVE EXAM IN HINDI 

HISTORY GK FOR ALL COMPETITIVE EXAM IN HINDI 

ECONOMICS GK FOR ALL COMPETITIVE EXAM IN HINDI 

GEOGRAPHY GK FOR ALL COMPETITIVE EXAM IN HINDI 

SCIENCE  GK FOR ALL COMPETITIVE EXAM IN HINDI 

MP GK FACTS IN HINDI 

सभी आयोग - MPPSC PRE 

सभी दार्शनिक एवं विचारक MPPSC PAPER -4 

SPORT GK IN HINDI 

GK FOR ALL COMPETITIVE EXAM IN ENGLISH 

CLICK HERE- MOST IMP POLITY  GK IN HINDI 

CLICK HERE FOR - MP GK IN HINDI 

CLICK HERE FOR-  MOST IMP GK FOR ALL COMPETITIVE EXAM IN ENGLISH 



Previous
Next Post »