दोस्तों आप सभी ने पी -नोट का नाम सुना होगा और आपकी यह जानने की भी इच्छा हुई होगी कि आखिर यह पी-नोट क्या होता है तथा इसके संबंध में भारत में क्या नियम है ,तथा इससे संबंधित नियम कायदे भारत में कौन सी संस्था बनाती है ,आज के इस लेख में पी-नोट से संबंधित सभी महत्वपूर्ण तथ्यों पर आसान भाषा में तथा रोचक रूप से जानकारी दी गई है,
WHAT IS P-NOTE |
इस लेख के माध्यम से आप निम्नलिखित महत्वपूर्ण तथ्यों को आसानी के साथ समझेंगे, जैसे -
पी-नोट क्या होते हैं ?
पी -नोट कौन जारी करता है ?
पी-नोट के संबंध में भारत में क्या प्रावधान है ?
पी-नोट का उपयोग क्या है?
पी -नोट के संबंध में सेबी ने अपने नियमों में क्या बदलाव किया है ?
पी-नोट के फायदे एवं पीनोट के नुकसान आदि
चलिए सबसे पहले बात करते हैं कि -
यह पी-नोट क्या होते हैं ?
पी-नोट का पूरा नाम पार्टिसिपेटरी नोट्स होता है ,
यह एक तरह का ऑफ़ शोर डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट होता है ,या साधारण शब्दों में कहें तो एक विशेष प्रकार का दस्तावेज होता है ,जो निवेशक सेबी के पास रजिस्ट्रेशन कराए बिना भारतीय शेयर बाजार तथा भारतीय सिक्योरिटीज में पैसा लगाना चाहते हैं वे इसका इस्तेमाल करते हैं
भारत में विदेशी इन्वेस्टर्स या विदेशी निवेशकों को पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी -नोट्स ) सेबी (भारतीय प्रतिभूति एवं विनियमन बोर्ड ) के पास पंजीकृत फॉरेन ब्रोकरेज फर्म्स या डोमेस्टिक ब्रोकरेज फर्म की विदेशी यूनिट्स जारी करती है , ब्रोकरेज इंडियन सिक्योरिटी जैसे कि शेयर ,डेरिवेटिव्स में खरीददारी करते हैं ,और अपनी फीस लेकर उन पर अपने ग्राहक को पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी -नोट ) जारी करते हैं ,
WHAT IS P-NOTE?
पी-नोट (पार्टिसिपेटरी नोट )का उपयोग क्या है
दोस्तों , पार्टिसिपेटरी नोट्स एक प्रकार का करारनामा या एग्रीमेंट होता है, जिसमें व्यक्ति सेबी को अपनी पहचान बताएं बिना या पंजीकृत किए बिना भारतीय पूंजी बाजार या शेयर बाजार का फायदा उठा सकता है ,अर्थात भारतीय शेयर बाजार में निवेश कर सकता है ,
अब आपके मन में यह प्रश्न उठ रहा होगा कि ,कोई व्यक्ति सेबी के माध्यम से पंजीकृत ना होकर p-note का उपयोग क्यों करता है,
दोस्तों ऐसे अनेक निवेशक होते हैं जो किसी कारण से या तो अपनी पहचान उजागर करना नहीं चाहते हैं या उनके निवेश की राशि कम होती है जिससे वह पंजीयन नहीं करवाना चाहते हैं ,साथ ही साथ कुछ विदेशी लोग भी अपनी पहचान को उजागर ना करते हुए भारतीय पूंजी बाजार में निवेश करने का विकल्प चुनते हैं ,इन्हीं सब का विकल्प पी नोट अर्थात पार्टिसिपेटरी नोट के रूप में उन्हें मिलता ,
अब आप सोच रहे होंगे कि जो व्यक्ति भारत में पंजीकृत नहीं होना चाहता है तो उसे पार्टिसिपेटरी नोट का विकल्प क्यों दिया गया है ,आखिर
पार्टिसिपेटरी नोट की महत्ता या आवश्यकता क्या है ,
दोस्तों जैसा कि हम सभी जानते हैं, भारत में विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए अनेक योजनाएं संचालित है और यह विदेशी निवेश भारत के लिए आवश्यक भी है, क्योंकि भारत की बहुत बड़ी जनसंख्या की विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए बहुत बड़ी मात्रा में धनराशि की आवश्यकता होती है तथा भारत में वर्तमान समय में आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं है कि वह स्वयं अपनी ही ,और देश के अंदर संचालित होने वाली आर्थिक क्रियाओं से इतनी बड़ी जनसंख्या की आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकें ,इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि विदेशी लोग अपनी पूंजी भारत में लाएं ,जिससे भारत की आधारभूत संरचना का भी विकास हो ,साथ ही साथ अन्य विकासात्मक कार्य करने में भी मदद मिले ,
इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए पार्टिसिपेटरी नोट की व्यवस्था अपनाई गई है ,अर्थात इसमें उन व्यक्तियों को भी निवेश का विकल्प उपलब्ध करवाया जाता है जो निवेश की इच्छा तो रखते हैं परंतु अपनी पहचान उजागर करना नहीं चाहते हैं अगर यह पार्टिसिपेटरी नोट् का विकल्प उपलब्ध नहीं होगा तो वह विदेशी निवेशक भारत में निवेश नहीं करेंगे ,जिससे हम विदेशी पूंजी प्राप्त नहीं कर पाएंगे इसके चलते हमारी अनेक विकासात्मक प्रक्रिया रुक जाएगी
परंतु पार्टिसिपेटरी नोट की व्यवस्था को लेकर एक आशंका यह भी बनी रहती है कि ,इसमें कोई गलत व्यक्ति या गलत संस्था भी भारतीय पूंजी बाजार एवं शेयर बाजार में निवेश कर सकती है क्योंकि इसमें उनकी पहचान उजागर नहीं होती है ,हो सकता है कि वह कोई अपराधिक प्रवृत्ति का व्यक्ति हो या कोई प्रतिबंधित संस्थान ,
ऐसी सब चिंताओं को दूर करने के लिए सेबी अर्थात भारतीय प्रतिभूति विनियामक बोर्ड ने हाल ही में पी-नोट के नियमों को लेकर कुछ कड़े प्रावधान किए हैं ,
यह प्रावधान इस प्रकार है
सेबी के पी-नोट को लेकर किए गए नए प्रावधानों में अब -
- पी-नोट में किसी निवेशक का 25% हिस्सा है ,तो उसका भी KYC अर्थात जरूरी डाक्यूमेंट्स जिससे कि उसकी पहचान सुनिश्चित की जाए ,इसकी प्रक्रिया अपनाना अनिवार्य कर दिया गया है
- यही नहीं पी नोट्स में ट्रस्ट पार्टनर फर्म आदि का हिस्सा 15% होने पर भी KYC होगा
- भारत में टैक्स चोरी रोकने के लिए मारीशस एवं अन्य देशों से अनेक करार किए गए हैं ,जिसके बाद अब SEBI मनी लॉन्ड्रिंग जैसी प्रक्रिया पर लगाम लगाने के लिए अपने नियमों में बदलाव कर रही है
- साथ ही साथ अब पी-नोट के ट्रांसफर के मामले में भी KYC जरूरी होगा, और विदेशी निवेशकों को ट्रांसफर की पूरी डिटेल रखनी होगी ,
तो दोस्तों आज के इस लेख में पी नोट क्या है? एवं पार्टिसिपेटरी नोट्स से संबंधित जानकारी /P-NOTE INFORMATION IN HINDI आपको मिली है मुझे उम्मीद है कि आपको यह लेख पसंद आया होगा अगर आप इसी प्रकार की रोचक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो इस वेबसाइट पर ई-मेल द्वारा सब्सक्रिप्शन भी कर सकते हैं!!
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