राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम 2003
Fiscal responsibility and budget management act 2003/FRBM Act 2003
एफ.आर.बी.एम .एक्ट 2003 क्या है
इस लेख में - राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम 2003
Fiscal responsibility and budget management act 2003
FRBM ,Act 2003 के महत्वपूर्ण बिंदु तथा एफआरबीएम एक्ट की प्रमुख विशेषताएं/ एफ.आर.बी.एम .एक्ट का महत्व तथा एफ.आर.बी.एम. एक्ट से संबंधित प्रश्न आदि के बारे में आसान भाषा में महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है,
इस लेख को पढ़ने के पश्चात एफ.आर.बी.एम. एक्ट से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य एवं
विभिन्न परीक्षा उपयोगी प्रश्नों को हल करने में महत्वपूर्ण रूप से लाभ मिलेगा ।
एफ.आर.बी.एम. एक्ट क्या है? FRBM act in Hindi ./ FRBM act कब बना?
भारत में राजकोषीय अनुशासन लाने के लिए भारत की संसद ने वर्ष 2003 में एफ.आर.बी.एम .एक्ट पास किया , एफ.आर.बी.एम.act का पूरा नाम फिसकल रिस्पांसिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट एक्ट है
इसे हिंदी में राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम कहते हैं ,
भारत सरकार ने देश के अंदर राजकोषीय सुदृढ़ीकरण अर्थात राजकोष को मजबूती प्रदान करने तथा सार्वजनिक व्यय पर उचित नियंत्रण तथा सार्वजनिक व्यय का उचित प्रबंधन करने की दिशा में इस अधिनियम को पारित किया ,तथा भारत के अंदर सार्वजनिक व्यय को अनुशासित करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण एवं प्रभावी कदम सिद्ध हुआ है
भारत सरकार ने वर्ष 2000 में इस एक्ट की रूपरेखा निर्धारित करने के लिए तथा राजकोषीय समेकन और राजस्व प्रबंधन को समुन्नत करने के उद्देश्य से एक समिति का गठन किया, इस समिति का नाम राजकोषीय उत्तरदायित्व विधि निर्माण समिति था, तथा इस समिति के अध्यक्ष ई ए एस शर्मा थे ,
इस समिति ने भारत में राजकोषीय नीति के क्रियान्वयन के विभिन्न पहलुओं का गहराई से अध्ययन किया तथा राजकोषीय दायित्व के संबंध में कानून के प्रारूप के संबंध में अपनी संस्तुति भारत सरकार को दी,
इसके पश्चात भारत सरकार ने एक और समिति जिसकी अध्यक्षता अहलूवालिया जी ने की ,इसे अहलूवालिया समिति के नाम से भी जाना जाता है ,
इन दोनों समिति की सिफारिशों के आधार पर भारत की संसद ने वर्ष 2003 में एफआरबीएम एक्ट को मंजूरी प्रदान की।
FRBM act की प्रमुख विशेषताएं/ एफ.आर.बी.एम एक्ट के प्रमुख तथ्य
राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम 2003/ एफआरबीएम एक्ट 2003 की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार है-
➥ इस अधिनियम के अंतर्गत उन नियमों को बनाना जो राजकोषीय घाटा /राजस्व घाटा तथा आकस्मिक देयताये है जिन्हें लायबिलिटीज कहा जाता है , तथा कुल देयताओं में कमी लाने के संबंध में वार्षिक लक्ष्य निर्धारित कर सके, अर्थात यह अधिनियम ऐसे नियमों को बनाने पर विशेष जोर देता है जो भारत में वित्तीय अनुशासन तथा विशेष तौर पर सार्वजनिक खर्च को नियंत्रित एवं अनुशासित कर सके
➥राजस्व घाटा तथा राजकोषीय घाटा इन नियमों में निर्दिष्ट लक्ष्यों का तभी अतिक्रमण कर सकेंगे जबकि केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट कोई अपवाद स्वरूप राष्ट्रीय सुरक्षा या राष्ट्रीय संकट की स्थिति हो ,
(अर्थात इस अधिनियम के तहत जो भी वार्षिक लक्ष्य वित्तीय नियंत्रण की दिशा में सरकार बनाएगी उन नियमों में और उन लक्ष्यों में सामान्य दशा में परिवर्तन करना संभव नहीं होगा इन लक्ष्यों में परिवर्तन केवल आपदा स्वरूप या विशेष परिस्थिति में ही परिवर्तन संभव हो सकेंगे।)
➥इस अधिनियम की एक और प्रमुख विशेषता यह है कि इस अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार केंद्र सरकार अब रिजर्व बैंक से उधार नहीं लेगी, केवल तभी जब की नकदी प्राप्ति की अपेक्षा नगद या व्यय अधिक हो, तो सरकार अग्रिम के रूप में रिजर्व बैंक से उधार ले सकेगी ,
(अर्थात अब सामान्य दशाओं में केंद्र सरकार या राज्य सरकारें रिजर्व बैंक से उधार नहीं लेंगी हालांकि विशेष परिस्थितियों में रिजर्व बैंक से सरकार को उधार लेने की सुविधा या अधिकार प्राप्त रहेंगे)
➥केंद्र सरकार अपने राजकोषीय क्रियाशीलन में अधिकाधिक पारदर्शिता लाने के उपाय करेगी।
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