What is DNA fingerprinting and its uses in Hindi ?

 

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DNA fingerprinting in Hindi

dna fingerprinting meaning in hindi, डीएनए फिंगरप्रिंटिंग क्या होती है,? इसका अर्थ ?

जेनेटिक्स के अंतर्गत इसे डीएनए टाइपिंग भी कहा जाता है

इस तकनीक में डीएनए के नाइट्रोजन क्षारो (न्यूक्लियोटाइड्स )के अनुक्रम की पहचान कर उन्हें चित्रित किया जाता है ,अर्थात डीएनए फिंगर प्रिंटिंग एक अत्याधुनिक जैविक तकनीक है

भारत में डीएनए फिंगरप्रिंटिंग तथा नैदानिक केंद्र हैदराबाद में स्थापित किया गया है , यह केंद्र डीएनए फिंगर प्रिंटिंग से संबंधित क्रियाकलापों का देश में मुख्य संस्थान है

इस तकनीक का मुख्य आधार यह है कि, प्रत्येक व्यक्ति में पाया जाने वाला डीएनए रिप्लिकेशन कभी भी एक समान नहीं हो सकता है,

 दूसरे शब्दों में कहें तो प्रत्येक व्यक्ति का डीएनए पैटर्न एकमात्र एवं अनोखा होता है ,यहां तक की क्लोनिंग से प्राप्त समरूप बच्चों का डीएनए पैटर्न अभी अलग होता है

अतः इस तकनीक का उपयोग मानव की पहचान हेतु किया जा सकता है

जिसके कारण इस तकनीक को डीएनए फिंगर प्रिंटिंग कहा जाता है


DNA fingerprinting का उपयोग 

use of DNA fingerprinting 

importance of DNA fingerprinting in Hindi 

जैविक सबूतों के आधार पर अपराध का पता लगाने जैसे मर्डर ,रेप या अनुसंधान के क्रम में वास्तविक अपराधी को पकड़ने हेतु,

वंशानुगत रोगों की पहचान हेतु तथा उसके लिए चिकित्सा पद्धति के विकास हेतु

बच्चे की वास्तविक माता-पिता का पता लगाने हेतु,

पैतृक संपत्ति संबंधी दावों को निपटाने हेतु ,

इस तकनीक का उपयोग युद्ध पीड़ितों एवं युद्ध में मारे गए सैनिकों की लाशों को पहचानने में भी किया जाता है ,विशेषतया  तब , जब  उनकी लाशें परिवर्तित कर दी गई हो।


डीएनए फिंगर प्रिंटिंग के लिए लगभग 100000 कोशिकाओं का डीएनए या लगभग 1 माइक्रोग्राम पार्ट  पर्याप्त होता है।

DNA 

किसी भी कोशिका या टिशू से लिया जा सकता है जैसे वीर्य ,त्वचा कोशिकाएं या root hair,


PROCESS OF DNA FINGERPRINT PLOW CHART,

steps involve in DNA fingerprinting process,

डीएनए फिंगर प्रिंटिंग तकनीक किस प्रकार कार्य करती है ?इसकी क्रियाविधि एवं प्रक्रिया।


यह  तकनीक निम्न चरणों में पूरी होती है,

PROCESS OF DNA FINGERPRINT PLOW CHART,


पहले चरण में उच्च गति के रेफ्रिजरेटर अपकेंद्रण यंत्र अर्थात सेंट्रीफ्यूज द्वारा कोशिकाओं से डीएनए निकाला जाता है तथा पीसीआर के प्रयोग से डीएनए को एमप्लीफाइड किया जाता है।

दूसरे चरण में रिस्ट्रिक्शन फ्रेगमेंट लेंथ (RFL)विश्लेषण के लिए स्थल पहचानने वाले रिस्ट्रिक्शन एंजाइम उसे डीएनए को खंडों में काटा जाता है।

तीसरे चरण में एक बार और पॉलीमर जेल से विद्युत का संचयन या इलेक्ट्रोफॉरेसिस किया जाता है, इस प्रकार निर्मित डीएम खंडों को एक  पॉलीमर जेल में गुजारा जाता है फिर इन खंडों को फ्लोरोसेंट ढाई से रंगा जाता है अब यह अभी रंजीत डीएनए खंड अल्ट्रावॉयलेट किरणों में से गुजारे जाते हैं,

इस प्रक्रिया के चौथे चरण में सिंगल स्प्रेन डीएनए  को जेल पर रखी नायलॉन या नाइट्रोसैलूलोज  पर स्थानांतरित किया जाता है ,इससे प्रक्रम को सदन ब्लाटिंग कहा जाता है, क्योंकि इस प्रकरण की खोज ई एम सदर नामक विज्ञानिक के द्वारा की गई थी, इस नायलॉन की परत को बाथ में डुबाया जाता है ,बाद में DNA PROB  मिलाए जाते हैं  , DNA PROB रेडियोएक्टिव संश्लिष्ट खंडों के ज्ञात अनुक्रम होते हैं , ये विशिष्ट न्यूक्लियोटाइड अनुक्रम को लक्ष्य बनाते हैं।

इस प्रक्रिया के अंतिम चरण में रेडियो एक्टिव प्रोब  युक्त नायलॉन परत पर एक्स विकिरण फिल्म को अनावृत किया जाता है, तो स्थल पर गहरी पट्टीका बन जाती है इन गहरी पट्टी  को लक्ष्य पट्टी  अर्थात जिन से तुलना की जाती है उनके साथ मिलाया जाता है तथा निष्कर्ष प्राप्त किया जाता है ।

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