यहाँ पर - भारत निर्वाचन आयोग (ELECTION COMMISSION OF INDIA) के बारे में पूरी जानकारी आसान भाषा में दी गयी है, जो UPSC/MPPSC/UPPSC/SSC/IBPS/NDA/CDS आदि परीक्षाओ के लिए महत्वपूर्ण है!
निर्वाचन आयोग क्या है ??
यह एक संवैधानिक निकाय है जिसका वर्णन संविधान के भाग 15 में अनुच्छेद 324 से लेकर 329 तक है।इसका गठन 25 जनवरी 1950 को किया गया था !
निर्वाचन आयोग की संरचना -
इसकी संरचना की बात की जाए तो इसमें 1 मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं अन्य निर्वाचन आयुक्त होते हैं। जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। इसकी सलाह पर राष्ट्रपति प्रादेशिक आयुक्तों की नियुक्ति करते हैं जोकि निर्वाचन आयोग की सहायता हेतु कार्य करते हैं मुख्य निर्वाचन आयुक्त अन्य निर्वाचन आयुक्त एवं प्रादेशिक निर्वाचन आयुक्तों की सेवा शर्ते पदावधि राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित की जाती है।निर्वाचन आयोग का इतिहास
आयोग के इतिहास की बात की जाए तो 1950 से लेकर 1989 तक यह निकाय एक सदस्य होता था जिसमें केवल मुख्य निर्वाचन आयुक्त होते थे बाद में 1989 मे जब मतदान देने की आयु को 21 से घटाकर 18 वर्ष किया गया तब राष्ट्रपति द्वारा दो अन्य आयुक्त बढ़ा दिए गए उसके उपरांत 1990 में पुनः यह निकाय एक सदस्य हो गया जिसे 1993 में पुनः 3 सदस्य बनाया गयानिर्वाचन आयोग की सेवा शर्ते
सेवा शर्तों की बात की जाए तो मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं अन्य निर्वाचन आयुक्तों की शक्तियां समान होती है एवं इनके वेतन भत्ते और दूसरे लाभ भी एक समान होते हैं जोकि उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के समान होते हैंमुख्य निर्वाचन आयुक्त की सेवा के दौरान कोई भी अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।
निर्वाचन आयोग के सकारात्मक पक्ष को देखने के बाद कुछ दोष भी सामने आए हैं।
जैसे सदस्यों की अहर्ता संविधान में निर्धारित नहीं है।
सदस्यों की पदावधि का भी संविधान में कोई वर्णन नहीं।
आयुक्तों के सेवानिवृत्ति के बाद दूसरी नियुक्ति पर कोई रोक नहीं है।।
निर्वाचन आयुक्त को हटाने की प्रक्रिया
निर्वाचन आयोग के मुख्य निर्वाचन आयुक्त को दुर्व्यवहार एवं अक्षमता के आधार पर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को जिस प्रक्रिया से अपदस्थ किया जाता है उसी प्रक्रिया द्वारा हटाया जा सकता है।उपरोक्त आधारों पर दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत पारित किया जाता है एवं तत्पश्चात राष्ट्रपति द्वारा उसे हटा दिया जाता है। अन्य निर्वाचन आयुक्त एवं प्रादेशिक आयुक्तों को मुख्य निर्वाचन आयुक्त की सिफारिश पर हटाया जा सकता है।
निर्वाचन आयोग के कार्य एवं शक्तिया
इसकी शक्ति एवं कार्य पर दृष्टि डाली जाए तो निम्न बिंदु दृष्टिगत होते है- ELECTION COMMISSION के द्वारा परिसीमन आयोग अधिनियम के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों के भूभाग का निर्धारण किया जाता है
- यह आयोग निर्वाचन नामावली तैयार करता है तथा मतदाताओं का पंजीकरण करता है
- नामांकन पत्रों का परीक्षण करने के साथ-साथ निर्वाचन तिथि एवं समय सारणी का निर्धारण भी करता है
- राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान की जाती है एवं उन्हें चिन्ह आवंटित किए जाते हैं एवं विवाद होने की स्थिति में न्यायालय की तरह कार्य भी किया जाता है अर्थात चुनाव आयोग के पास अर्ध न्यायिक शक्तियां भी हैं।
- आचार संहिता बनाई जाती है एवं प्रचार हेतु रेडियो टीवी की कार्यक्रम सूची भी तैयार की जाती है।
- इसके द्वारा केंद्र में संसद सदस्यों की निर्हरता संबंधी मामलों पर राष्ट्रपति को सलाह दी जाती है एवं राज्य में विधान परिषद के सदस्यों के निर्हरता के संबंध में राज्यपाल को सलाह दी जाती है।
- चुनाव के समय में कर्मचारियों की आवश्यकता को लेकर संघ में राष्ट्रपति और राज्य में राज्यपाल से आग्रह करना।
- चुनाव में हुए प्रदर्शन के आधार पर राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दल का दर्जा देना।
- राष्ट्रपति शासन वाले राज्य में 1 वर्ष बाद चुनाव करवाने की सलाह राष्ट्रपति को देना और चुनावी तंत्र का पर्यवेक्षण करना।
- मतदान केंद्र पर मतदान के दौरान हुई कोई भी घटना के कारण निर्वाचन को रद्द करना जैसे मतदान केंद्र लूट आदि।
चुनाव आयोग से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार है
निर्वाचन आयोग की मदद के लिए उप निर्वाचन आयुक्त होते हैं जो सिविल सेवा से लिए जाते हैं एवं उनकी सहायता के लिए सचिवालय में सचिव, संयुक्त सचिव, अवर सचिव, उप सचिव उपस्थित होते हैं।
राज्य स्तर पर मुख्य निर्वाचन आयुक्त की सहायता के लिए मुख्य निर्वाचन अधिकारी होते हैं।
जिला स्तर पर कलेक्टर जोकि जिला निर्वाचन अधिकारी होता है जो प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में निर्वाचन अधिकारी एवं पीठासीन अधिकारी (जो प्रत्येक मतदान केंद्र पर उपस्थित होते हैं) को नियुक्त करता है।
निर्वाचन आयोग एक स्थाई एवं स्वतंत्र निकाय है। यहां एक अखिल भारतीय संस्था है जो केंद्र व राज्य दोनों में समान है। निर्वाचन आयोग भारत में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव करवाने हेतु बनाई गई एक संस्था है।
यह आयोग भारत में संसद राज्य विधानमंडल राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति के निर्वाचन का संचालन निर्देशन व नियंत्रण करता है।
राज्यों में होने वाले पंचायत एवं निगम चुनाव से चुनाव आयोग कोई संबंध नहीं रखता। इस हेतु प्रथक से राज्य निर्वाचन आयोग की व्यवस्था की गई है।
उपरोक्त बिंदुओं एवं वर्णन के आधार पर यह कहा जा सकता है की भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में निर्वाचन आयोग एक अत्यंत अहम भूमिका निभाता है एवं पारदर्शिता तथा निष्पक्षता के साथ चुनाव करवाने में एवं मतदाता के अधिकारों के संरक्षक के रूप में अपना योगदान देता है।
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