परीक्षा की दृस्टि से भारत में अनेकता में एकता विषय पर निबंध , महत्वपूर्ण है, यहाँ पर अनेकता में एकता विषय पर 750 शब्दों में तथा आसान भाषा में निबंध दिया गया है, इस निबंध में दिए गए तथ्यों को आधार बनाकर आप विविध शब्द सीमाओं जैसे 250 शब्द या 1000 शब्द आदि में अपने अनुसार रूपांतरित कर सकते है !
""अनेकता में एकता भारत की विशेषता"" यह नारा हम बचपन से सुनते आ रहे हैं और जैसे जैसे बड़े हुए इस नारे की व्यापकता तथा इसके सही अर्थों को अधिक स्पष्टता के साथ जानने लगे हैं। भारत जितने विशाल देश में ,जिसमें कुछ प्रदेशों की सीमाएं तो कई यूरोपीय देशों से भी बड़ी है फिर भी यहां सारे लोग विभिन्न जाति विभिन्न धर्म विभिन्न नस्ल विभिन्न रंग रूप विविध प्रकार की खानपान आदि में एक दूसरे से विविधता रखने वाले लोग किस प्रकार एकजुट रहकर देश की सामाजिक व्यवस्था का ताना-बाना बुनते हैं चाहे वह किसी संकट की घड़ी हो या चाहे कोई त्यौहार हो यह विविधता वाले लोग पलक झपकते ही एकता में परिवर्तित हो जाते हैं चाहे वह वर्तमान का कोरोना संकटकाल हो जिसमें सारे व्यक्ति अपनी विविधता के साथ साथ भारतीयता और मानवीयता के रूप में एकता का परिचय दे रहे हैं लेकिन इस एकता को बरकरार रखने में अनेक संघर्ष हुए हैं।
लगभग 5000 वर्ष पूर्व भारतीय समृद्धि से आकर्षित होकर कई विदेशी लोग ( गिकृ ,हूण,मंगोल,तुरक ,मुगल) भारत आए और अपनी संस्कृति और सभ्यता भारत की संस्कृति के साथ मेलजोल कर नई संस्कृति भारतीयता बनाई!
उपनिवेश काल में अंग्रेजों ने भारतीय एकता पर हमला करते हुए" फुट डालो शासन करो", सांप्रदायिक हिंसा, बंगाल विभाजन जैसी नीति अपनाई किंतु भारतीय जनमानस ने जाति धर्म आधारित आपसी वैमनस्यता त्याग एकजुट हो अपनी संगठनात्मक एकता का परिचय देते हुए 18 57 स्वतंत्रता संग्राम, असहयोग आंदोलन आदि के माध्यम से अंग्रेजों को भारत से खदेड़ कर आजादी प्राप्त की!
"कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा है दुश्मन दौरे जहां हमारा"।
भौगोलिक दृष्टि से भारत एक विशाल देश है,उत्तर में हिमालय से दक्षिण में हिंद महासागर तक, पश्चिम में नर्मदा से पूर्व में गंगा तक। प्रकृति ने देश की सीमाएं अनूठे ढंग से रेखांकित की है जो इतने विविधताओं को समेटे एक है।
संस्कृतिक दृष्टि से भी भारत एक है यहां विभिन्न प्रकार के रहन-सहन, खान-पान अलग-अलग सभ्यता संस्कृति विभिन्न भाषाएं मान्यताएं हैं जैसे पंजाब का भांगड़ा, केरल का ओणम, असम का बिहू, मध्य प्रदेश का मालवा उत्सव, गुजरात का गरबा आदि संपूर्ण राष्ट्र में यहां वहां लोग हर्षोल्लास से एक रंग में उत्सव मनाते हैं जो मेरी विविधता में एकता का परिचायक हैं
इसी उद्देश्य से आदि कवि शंकराचार्य ने चारों दिशाओं में मठ स्थापित किए ताकि लोग भ्रमण के दौरान एक दूसरे के आचार व्यवहार, खानपान, भाषा संस्कृति से परिचित होंगे वह एक दूसरे के प्रति सम्मान व आपसी एकता का अनुभव करेंगे।" भारत में सब भिन्न अति ताही सो उत्पात, विविध देशं, मतहू विविध,
भाषा विविध लखात।"
संविधान निर्माताओं ने भी भारतीय एकता को अक्षुण बनाए रखने हेतु प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्ष ,एकता ,अखंडता, समाजवाद जैसे शब्द जोड़े। साथ ही अनुच्छेद 25 से 30 में सभी को धर्म एवं संस्कृति के महत्ता प्रदान की ताकि नागरिकों में आपसी सद्भाव प्रेम एकता बनी रहे।
भले भारत में राज्यों का गठन भाषाई आधार पर हुआ हो, किंतु आज भी संपूर्ण भारत कश्मीर से कन्याकुमारी तक एक है। इसी दिशा में सकारात्मक पहल प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर 31 अक्टूबर 2015 को ,"एक भारत श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम" शुरू कर की। जिसका उद्देश्य राज्यों में आपसी समन्वय, सामंजस्य एवं नवोत्साह बढ़ाना हैं।
हालांकि एकता के मार्ग में अनेक बाधाएं भी है धर्म का राजनीतिकरण, हिंसा, सांप्रदायिकता ,मॉब लिंचिंग आदि परंतु भारतीय एकता के सुदृढ़ीकरण के आगे यह टिक नहीं सकते हैं
हाल में उपजे को रोना संकट में भारत की विलक्षण एकता को पुनः परिलक्षित किया है आज सभी राजनीतिक पार्टियां एक है देश में गरीबी अशिक्षा चिकित्सा साधनों की कमी है लेकिन लोग आज अनुशासन एवं सहयोग द्वारा अपनी राष्ट्रीय एकता का परिचय दे रहे हैं इसे डब्ल्यूएचओ ने भी अद्भुत बताया है।
निष्कर्षत:
अनेकता में एकता के गुण के कारण ही भारत विश्व में अपनी अलग पहचान बनाने में सफल रहा है तथा यही भारत की समृद्धि का भी राज है अब आवश्यकता इस बात की है कि वर्तमान के पूंजीवादी व्यवस्था जिसमें इंसान अपने स्वार्थ को सबसे ज्यादा वरीयता देने लगा है वहीं दूसरी ओर संकीर्ण राजनीति भी इस एकता को तोड़ने का प्रयास कर रही है अतः हमारे विविधता से समृद्ध संस्कृति को अधिक जागरूकता के साथ संरक्षित करने की आवश्यकता है। इसके लिए हमें सहिष्णुता एवं समन्वय वादीता के गुणों को आधार बनाना होगा।
भारत में अनेकता में एकता (आसान भाषा में ) ESSAY - UNITY IN DIVERSITY 250 WARD
""अनेकता में एकता भारत की विशेषता"" यह नारा हम बचपन से सुनते आ रहे हैं और जैसे जैसे बड़े हुए इस नारे की व्यापकता तथा इसके सही अर्थों को अधिक स्पष्टता के साथ जानने लगे हैं।
लगभग 5000 वर्ष पूर्व भारतीय समृद्धि से आकर्षित होकर कई विदेशी लोग ( गिकृ ,हूण,मंगोल,तुरक ,मुगल) भारत आए और अपनी संस्कृति और सभ्यता भारत की संस्कृति के साथ मेलजोल कर नई संस्कृति भारतीयता बनाई!
उपनिवेश काल में अंग्रेजों ने भारतीय एकता पर हमला करते हुए" फुट डालो शासन करो", सांप्रदायिक हिंसा, बंगाल विभाजन जैसी नीति अपनाई किंतु भारतीय जनमानस ने जाति धर्म आधारित आपसी वैमनस्यता त्याग एकजुट हो अपनी संगठनात्मक एकता का परिचय देते हुए 18 57 स्वतंत्रता संग्राम, असहयोग आंदोलन आदि के माध्यम से अंग्रेजों को भारत से खदेड़ कर आजादी प्राप्त की!
संस्कृतिक दृष्टि से भी भारत एक है यहां विभिन्न प्रकार के रहन-सहन, खान-पान अलग-अलग सभ्यता संस्कृति विभिन्न भाषाएं मान्यताएं हैं जैसे पंजाब का भांगड़ा, केरल का ओणम, असम का बिहू, मध्य प्रदेश का मालवा उत्सव, गुजरात का गरबा आदि संपूर्ण राष्ट्र में यहां वहां लोग हर्षोल्लास से एक रंग में उत्सव मनाते हैं जो मेरी विविधता में एकता का परिचायक हैं
हालांकि एकता के मार्ग में अनेक बाधाएं भी है धर्म का राजनीतिकरण, हिंसा, सांप्रदायिकता ,मॉब लिंचिंग आदि परंतु भारतीय एकता के सुदृढ़ीकरण के आगे यह टिक नहीं सकते हैं
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निष्कर्षत:
अनेकता में एकता के गुण के कारण ही भारत विश्व में अपनी अलग पहचान बनाने में सफल रहा है तथा यही भारत की समृद्धि का भी राज है अब आवश्यकता इस बात की है कि वर्तमान के पूंजीवादी व्यवस्था जिसमें इंसान अपने स्वार्थ को सबसे ज्यादा वरीयता देने लगा है वहीं दूसरी ओर संकीर्ण राजनीति भी इस एकता को तोड़ने का प्रयास कर रही है अतः हमारे विविधता से समृद्ध संस्कृति को अधिक जागरूकता के साथ संरक्षित करने की आवश्यकता है। इसके लिए हमें सहिष्णुता एवं समन्वय वादीता के गुणों को आधार बनाना होगा।
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